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हमारे बारे में

मेरा नाम गुरुसेवक सिंह राणा (G.S Rana ) है, मैं बठिंडा पंजाब का रहने वाला हु। G.S Rana Parad Shivling जो के एक रजिस्टर्ड ब्रांड है कैसे होंद में आया और क्यों आपको हमारे बनाये हुए पारद शिवलिंग और रसमनी ( पारदगुटिका ) पर पूर्ण विश्वाश करना चाहिए इस विषय को मैं विस्तार से बताना चाहूंगा।

1995 से मेरी रुचि पारद विज्ञान जिसे रसशास्त्र भी कहा जाता है उस में रही है। उस समय मेरी उम्र 16 या 17 साल की रही होगी जब मैंने इस विषय पर किर्यात्मक रूप से अध्धयन करना शुरू कर दिया था। रसशास्त्र में पारे का शोधन और पारद के संस्कार कैसे किये जाते हैं और उस संस्कारित पारे से कैसे औषधि निर्माण किया जाए और धातु परिवर्तन किया जाए इस पर शोध किया जाता है। पारद के मुख्य 18 संस्कार होते हैं जिनमे से पहले 8 संस्कार करने के बाद पारद से औषधियों का निर्माण किया जा सकता है और उसे ठोस आकर देकर शिवलिंग का निर्माण किया जा सकता है। पारे के अगले 10 संस्कार धातुवाद के लिए इस्तेमाल होते हैं उन संस्कारों में बताई गई विधियों में पारे से अन्य धतुयों को सोने या चांदी में बदला जा सकता हैं। जो कोई भी नया साधक इस विषय को समझने का प्रयास करता है उसकी यही इच्छा होती है कि वह सोना बनाने की विधि इस विज्ञान से सिद्ध कर सके मेरी भी कुछ इसी प्रकार की स्थिति थी।

आरंभ में मैंने भी तकरीबन इसी सिद्धि को हासिल करने के लिए बहुत प्रयास किए लेकिन यह सिद्धि जिसको धातुवाद कहा जाता है इतनी आसान नहीं होती जिसको कि हर व्यक्ति सिद्ध कर सके। तकरीबन 8 से 10 साल के बाद मेरी समझ में आया कि ऐसा कोई भी आसान रास्ता नहीं है जिससे हम पारे से किसी अन्य धातु को सोने में बदल सकें। मैं इस बात की संभावना से बिल्कुल भी इंकार नहीं करता कि धातुवाद संभव नहीं है, आधुनिक विज्ञान भले ही इसको असंभव समझता हो लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है कि रसायन शास्त्र की बताई हुई विधियों से अगर पारद के पूर्ण अट्ठारह संस्कार किए जाएं तो यह बिल्कुल संभव है कि पारद की सहायता से अन्य धातु को सोने में परिवर्तित किया जा सकता है । मेरी समझ में यह भी आया कि यह काम करने के लिए क्रमवार तरीके से पहले से लेकर 18 संस्कार तक किये जायें तभी यह प्रक्रिया संभव है। फिर मैंने पारद के सभी संस्कारों का ज्ञान कर्मवार रूप से हासिल करने का प्रयास करना शुरू कर दिया औरअगले कुछ वर्षों में मैं पारद के पहले से लेकर आठवें संस्कार तक किर्यात्मक रूप में करने में सक्षम हो गया।

पारद के 8 संस्कार करने के बाद दो रास्ते निकलते हैं या तो अष्ट संस्कारित पारद को आप औषधि के रूप में इस्तेमाल करने के लिए आयुर्वेद में बताए गयी दवाएं रसरसायन का निर्माण की जिए या फिर उस अष्ट संस्कारित किए हुए शुद्ध पारे को आप ठोस रूप देकर के उसका शिवलिंग या फिर पारद की गुटिका जिसे रासमणि भी कहते हैं उसका निर्माण कीजिए। मैंने 8 संस्कार किए हुए पारे को ठोस आकार देकर शिवलिंग बनाने का रास्ता चुना क्योंकि मेरी ज्यादा दिलचस्पी पारद को ठोस आकार देकर शिवलिंग बनाने में ही थी।

भगवान शिव की अनुकम्पा से मैं अगले कुछ वर्षों में पारद को ठोस आकार देने में सफल हो गया। रसायन शास्त्र में बताए हुए ग्रंथों के अनुसार इस प्रकार के पारद को महाबंध कहा जाता है। इस प्रकार के ठोस किये हुए पारद को कपड़े पर घिसने से कालिख नहीं आती और अगर उस पर हथौड़े चोट की जाए तो वह कांच की तरह खंड खंड हो जाता है इस प्रकार के पारद बंधन का वर्णन रस ग्रन्थों में महाबन्ध के नाम से किया गया है। अष्ट संस्कार किए हुए तरल पारे में भी एक अलग से विशेषता आ जाती है जो कि मैंने अनुभव की के इस प्रकार के पारे में और सामान्य पारे में देखने पर कुछ भी अंतर दिखाई नहीं देता लेकिन अगर अष्ट संस्कारित पारे को पानी में डालकर सूरज की रोशनी में रखा जाए तो 15 से 20 मिनट में स्वर्णिम आभा का हो जाता है और जब उस पार को कपड़े से छान दिया जाए तो वो फिर से चांदी की तरह सफेद हो जाता है। इस प्रकार के पारे को जब ठोस आकार देकर मैंने शिवलिंग का निर्माण किया तो उस शिवलिंग की भी यही विशेषता आई की उस शिवलिंग को साफ करने पर वह चांदी की तरह चमकता है और उसको पानी में डालकर धूप में रखने पर वह सुनहरे रंग का हो जाता है और फिर से साफ करने पर फिर चांदी की तरह हो जाता है। महाबंध पारद का वर्णन रस ग्रंथों में लिखा हुआ है कि इस प्रकार का बंधन बहुत ही ज्यादा कठिन रूप में होता है और इसकी सतह अत्यंत चमकीली होती है और इसकी सतह समय के साथ और ज्यादा चमकीली होती जाती है जैसे जैसे इसको साफ किया जाता है और इसकी सतह पर कोई भी व्यक्ति नाखून से उसके ऊपर खरोच नहीं डाल सकता। इस प्रकार मैंने शुद्ध अष्ट संस्कारित पारद शिवलिंग का निर्माण किया और वह पहला शिवलिंग मैंने हमारे शहर में ही एक शिव मंदिर में दान स्वरूप दे दिया।

मंदिर के पुजारी जी ने मुझे यह सलाह दी कि असली पारद शिवलिंग जो आपने बनाया है इसके विषय में और लोगों को भी ज्ञान दीजिये ताकि लोगों को यह पता चले कि असली पारद शिवलिंग क्या होता है। क्योंकि बाजार में जितने भी शिवलिंग दुकानों पर मिलते हैं वह सभी जस्तारांगा या फिर सिक्का मिलाकर के बनाए हुए मिलते हैं जो कि बहुत ही दोष युक्त होते हैं। रस शास्त्र में यह स्पष्ट रुप से लिखा हुआ है कि यह सिक्का जस्ता रांगा या अन्य कोई भी ऐसी धातु जो हाथ पर घिसने से कालिख देती हो वह पारद का मल दोष होता है। पारद को शुद्ध करना और उसके 8 संस्कार करने का तात्पर्य यही होता है कि पारद में से सभी प्रकार के दोष निकल जाएं। पारे का व्यापार करने वाले व्यापारी पारे में यह जस्तारांगा सिक्का की मिलावट करके दे देते हैं ठीक वैसे ही जैसे दूध में पानी की मिलावट की जाती है इसीलिए जब तक इन दोषों को पारे में से निकाला नहीं जाता तब तक वह शुद्ध नहीं कहा जाएगा और उसके 8 संस्कार भी नहीं किए जा सकते। दुकानों पर मिलने वाले ज्यादातर शिवलिंग जस्तारंगा या फिर सिक्के के बनाकर ही दिए जाते हैं जिनमे थोड़ी से मात्रा में पारा भी मिलाया होता है, ठीक तरह से अगर समझा जाए तो ऐसे पारद शिवलिंग जोकि जस्तारांगा या सिक्का मिलाकर के बनाए गए हो उनमें पारद को शुद्ध नहीं किया गया बल्कि उसमें और ज्यादा अशुद्धियों को मिला दिया गया जिस से कि वह थोस रूप में आ जाता है और उसका शिवलिंग बना दिया जाता है इस तरह के अत्यंत दोष युक्त शिवलिंग मार्केट में दुकानों पर आसानी से मिल जाते हैं और लोगों को ऐसे शिवलिंग असली पारद शिवलिंग के नाम पर देकर उनसे धोखा किया जाता है। ऐसे शिवलिंग की सरल पहचान यह होती है के अगर इस प्रकार के दोष युक्त शिवलिंग को कपड़े या हाथ पर घिसा जाए तो वो हाथ को काला कर देगा।

असली पारद शिवलिंग की मुख्य पहचान भी यही होती है कि अगर उसको कपड़े पर या हाथ पर घिसा जाए तो हाथ पर कालिख बिल्कुल भी नहीं आएगी। पारद के सही रूप में 8 संस्कार किए गए होतो ऐसे पारे से बनाए हुए शिवलिंग को पानी में डालकर धूप में रखने पर वह सुनहरे रंग का हो जाएगा क्योंकि 8 संस्कार किया हुआ तरल पारा भी पानी और धूप में रखने पर सुनहरे रंग का हो जाता है और यही गुण ऐसे पारे से बनाए हुए शिवलिंग पर भी दिखाई देते हैं।

लोगों को असली पारद शिवलिंग की पहचान बताने के लिए मैंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल किया और सन 2015 में मैंने Original Parad Shivling with Golden Shine नाम का फेसबुक पेज बनाया और Golden Parad Shivling नाम का यूट्यूब चैनल बना कर असली पारद शिवलिंग की पहचान लोगों को समझानी शुरू की जिससे कि लोगों को पता चलता गया नकली शिवलिंग और असली पारद शिवलिंग में अंतर होता है लोग इस बात को समझने लग गए। कुछ लोगों के आग्रह करने पर मैंने उनको असली पारद शिवलिंग बनाकर दिए और जब उन लोगों ने असली पारद शिवलिंग की पूजा की तब उनको बहुत ही अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो गए और इस तरह से यह बात फैलनी शुरू हो गई कि असली पारद शिवलिंग क्या होता है उसकी पहचान क्या होती है और असली पारद शिवलिंग की पूजन करने से जो हमें अध्यात्मिक और बहुत ही दिव्य अनुभूतियां होती हैं वह कैसी होती हैं। लोगों को जो आध्यात्मिक दिव्य अनुभव हुए वह उन्होंने मुझ से साझा करने शुरू कर दिए और आगे उन्होंने अपने मित्रों और रिश्तेदारों को भी इस विषय में बताना शुरू किया इस तरह से धीरे-धीरे पूरे भारत में बल्कि भारत से बाहर भी मेरे बनाए हुए पारद शिवलिंग की मांग लोगों ने करनी शुरू कर दी।

फिर कुछ लोगों ने मेरे नाम से नकली शिवलिंग बनाकर लोगों को देने शुरू कर दिए ,जब मुझे इस बात पता चला कि मेरे नाम का इस्तेमाल करके लोगों को नकली शिवलिंग दे कर कर उनके साथ धोखा किया जा रहा है तो मैंने अपनी फर्म M/s G.S Rana Parad Shivling का नाम रजिस्टर्ड करवाया और ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन भी करवाया ताकि लोगों को मेरे नाम से कोई भी व्यक्ति गलत शिवलिंग बना करके ना दे सके।

मेरा शत प्रतिशत प्रयास रहता है कि मेरे द्वारा बनाए गए शिवलिंग या रसमणि पूर्ण शुद्ध और अष्ट संस्कारित पारद से ही बनाए जाएं ताकि जो लोग बहुत ही श्रद्धा से हमारा बनाया हुआ शिवलिंग या रसमणि को खरीदते हैंउनको पूर्ण आध्यात्मिक लाभ और हर प्रकार की उन्नति मिल सके और भगवान शिव के प्रति उनकी श्रद्धा और भावना में वृद्धि हो सके। इसलिए आप हमारे बनाए हुए पारद के सभी उत्पादों पर पूर्ण भरोसा कर सकते हैं। यहां मैं यह भी बताना चाहूंगा कि शास्त्रों के अनुसार पारा भगवान शिवकी धातु है और अगर हम इससे केवल शिवलिंग या पारद गुटिका कानिर्माण करते हैं तो वह शास्त्रसम्मत है इसके अलावा अगर हम पारद से और कोई भी प्रतिमा का निर्माण करेंगे तो वह शास्त्रों के विरुद्ध होगा। बाजार में जो नकली शिवलिंग दुकानों पर मिलते हैं उनके साथ साथ पारद की और भी अन्य मूर्तियां बनाकर दी जाती हैं जैसे कि पारद के लक्ष्मी, गणेश, श्रीयंत्र इत्यादि लेकिन शास्त्रों के अनुसार पारद का केवल शिवलिंग ही बनाया जा सकता है इसलिए मैं पारद का केवल शिवलिंग ही बनाकर केदेता हूं अन्य किसी भी प्रकार की कोई मूर्ति मैं बनाकर नहीं देता।

गुरु कृपा और भगवान शिव की इच्छा से मुझे यह ज्ञान प्राप्त हुआ तो यह मेरा कर्तव्य बन जाता कि लोगों को ज्ञान दूं किअसली पारद शिवलिंग क्या होता है और उसकी पहचान क्या होती है क्यु के शास्त्रों में पारद शिवलिंग का पूजन करने से जिस आध्यात्मिक उन्नति का वर्णन मिलता है, वह सिर्फ तभी प्राप्त हो सकती है अगर पारद शिवलिंग पूर्ण शुद्ध और अष्ट संस्कारित पारे से बनाया गया हो। भगवान शिवकी इच्छा से जब तक यह शरीर कार्यरत रहेगा तब तक मेरा यह पूर्ण प्रयास रहेगा कि मैं ऐसे शुद्ध पारद के शिवलिंग बनाकर के लोगों को देता रहूं और इसी में अपना जीवन समर्पित कर दूं। धन्यवाद।

ॐ नमः शिवाय